शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

🌸 *श्री गोविन्द अभ्युदय*🌸

                                               *** ऊँ गनिनाथाय नमः ऊँ गोविन्दाय नमः ***

                                                         🌸 *श्री गोविन्द अभ्युदय*🌸


 

द्वापर युग में पृथ्वी पर जब अत्याचार और अन्याय के साथ पाप अपनी चरम सीमा पर था तो इसके विनाश के लिए भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आज ही के दिन भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी के मध्य काल मे अवतरण लिया था।

 हमारे घर परिवार में आज ही के दिन जन्माष्टमी को बाबु गोविन्द जी महाराज का जन्मदिवस या अवतरण दिवस पीढ़ियों से मनाते आ रहे है । हमारे पूर्वजोनुसार श्री गणिनाथ जी के प्रथम् पुत्र गोविन्द जी महाराज आज ही के दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। श्री गोविन्द जी महाराज विष्णु अवतारी थे । लोक गीतों में माता खेमा (क्षमा) सती के प्रसव वेदना का जिक्र मिलता है । दासी शेलखी माता खेमा सती (क्षमा सती) की सबसे मुंहबोली - प्रिय दासी है। माता खेमा सती के प्रसव की सूचना और चर्चा पलवाइया नगर में घर घर है। 

जब से माता खेमा सती गर्भवती हुईं हैं उनके शरीर से एक तेज पुंज और खुशबू निकलने लगता है , चेहरे की आभा पूनम के चांद के तरह चमकने लगा है। माता का अधिकांश समय पूजा पाठ योग और व्यायाम मे व्यतीत होता हैं। खेमा (क्षमा) सती को पूर्वाभास हो चुका है की कोख में पल रहा बच्चा विलक्षण प्रतिभा का धनी गणीनाथ जी का प्रतिरूप ही नहीं , राज्य का उत्तराधिकारी भी होगा। सुबह के बेला में चतुर्भुजी रूप बालक की आलौकिक सपनो से माता काफी रोमांचित हैं। 

प्रसव वेदना होने पर डगरीन को साय कालीन बगल के गाँव में सेलखी डोली लेकर बुलाने जाती है । बाबा गणिनाथ जी के मुख मंडल पर चिंता की रेखाओं के साथ सोने के खड़ाऊ पर प्रसव द्वार पर चहल कदमी कर रहें है जिसे गीत में इसका कई बार जिक्र किया गया है , डगरीन के अनुसार जब वह माता के पास जाती है तो उसकी आँखें तेज़ रोशनी से चौधिया जाता है और देखती है बालक जन्म ले चुका है और माता बेसुध अचेता अवस्था में है । शिशु के आभामंडल के प्रकाशपुंज से डगरिन डर जाती है और बच्चें को बिना स्पर्श किए दरवाजे से लौट जाती हैं। 

यही तेजस्वी , बाल बह्मचारी , सर्व शिक्षा और सर्व गुणों में निपुर्ण बालक भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी मध्य रात्रि पश्चात जन्म या अवतरण लिया जिसे श्री गणिनाथ जी महाराज और माता खेमा (क्षमा) सती ने प्यार से *" गोविन्द "* नाम दिया । बाल बह्मचारी गोविन्द जी ने भी शिष्य परम्परा चलाया । आज बहुत सारे उनके शिष्यगण जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के प्रकोटशव के साथ श्री गोविन्द जी का जन्मोत्सव मनाते है जिसमे श्री गोविन्द जी , गणिनाथ जी , माता खेमा सती , दयाराम ,फेकू राम के साथ लाल खान की भी पूजा किया जाता है । घर परिवार के सारे सदस्य दिन मे अन्न जल ग्रहण नही करते और रात में महावीर जी का ध्वज दरवाजे पर पूजन पश्चात बदला जाता है और कुल देवताओं को आह्वान -पूजन होता है और अंत में भगवान कृष्ण के जन्म पश्चात पूजन और खुशियाँ मनाया जाता है । 

गोविन्द जी महाराज वेदों के ज्ञाता, धर्मपरायण, ज्ञानी, बाल ब्रह्मचारी, युद्ध कौशल मे निपूर्ण योद्धा थे। परिवार मे बड़े सदस्य होने के बावजूद राज्य सुख त्याग कर अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध युद्ध किया जैसे भगवान श्री कृष्ण ने अपनी भूमिका समाज को दिया था। बाबा गणिनाथ जी यदि मस्तिष्क थे तो गोबिंद जी उनकी भुजाएं। गोबिंद जी के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना सुलतान खां, किश्ती खां और बकर खां अतातायीयो को मौत के घाट उतार कर लाल खां को बंदी बना कर बाबा के चरणों मे समर्पित करना हैं।गोविंद जी ने समाज मे व्याप्त सभी बुराइयों के विरुद्ध जैसे टोना टोटका, तंत्र मंत्र का दुरुपयोग , अंधविश्वास, अशिक्षा, समाज में बिखराव आदि के संग समाजिक अनुशासन के लिए "मान्यजन" व्यवस्था को मान्यता दिया। वर्तमान में यू पी, बिहार, झारखण्ड आदि प्रदेशो मे विलुप्त हों गया है परंतु नेपाल के कई जगहों पर देखने को मिलता हैं।

बाबा गणिनाथ जी का संपूर्ण परिवार गुरु शिष्य परंपरा मे सुदृढ़ता पूर्वक जीवन्त रहा हैं माता सती, बहने, बौधा बाबा आदि की भूमिका राज्य में बाबा गणिनाथ गोविंद जी महाराज के संग गुरुकुल, जन कल्याण मे सदैव देखने को मिला है। जहा तक मेरा व्यक्तिगत मान्यता है कानू, कांदू, हलवाई आदि के कई घरों में " सती " और "सती -बंदी " की कूल देवता/ देवी के रुप मे पूजन की मान्यता है। ये कोई और नहीं श्री गणिनाथ गोविंद जी कूल परिवार के सती (खेमा/क्षमा) और दोनो बहने
" बंदी" आप्रभांषित शब्द है।

उत्तर भारत - नेपाल में अधिसंख्य घरों में गोबिंद जी को कूल देवता के रूप में पूजन जन्माष्टमी को किया जाता है। मैथिली भोजपुरी, बज्जिका, मगही, अंगिका आदि लोक गीतों में गोबिंद जन्मोत्सव का विवरण विस्तृत रूप मे मिलता है जो आज भी प्रासंगिक हैं।

आप सभी को श्री गोविन्द जन्मोत्सव पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाये । आप सभी के मन वांछित मनोकामनाएं पूर्ण हो।


✍️रवींद्र कुमार मद्धेशीय
      नजफगढ़, नई दिल्ली

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